FUNCTIONS
The rules of executive business classify and distribute works among various departments of State Government in the Secretariat. The works allotted to Law Department are as follows:-
विधि विभाग
(क) न्याय शाखा
1. दंड विधि (फौजदारी कानून) और दंड प्रक्रिया।
2. सिविल प्रक्रिया, जिसमें परिसीमा अधिनियम (लाॅ आॅफ लिमिटेशन) भी शामिल है।
3. साक्ष्य और शपथ।
4.विधि, लोक अधिनियमों,अभिलेख तथा न्यायिक कार्यवाहियों की मान्यता।
5. विवाह और तलाक, बच्चे और नाबालिग, दत्तक ग्रहण इत्यादि से संबंधित विधिक मामले।
6. वसीयत, निर्वसीयता और उत्तराधिकार(कृषि भूमि-विषयक को छोड़कर)।
7. संपत्ति अन्तरण (कृषि-भूमि को छोड़कर)।
8. धार्मिक एवं पुण्यार्थ तथा शिक्षा-निमित्तक न्यासों को छोड़कर अन्य सभी न्यास तथा न्यासी।
9. संविदाएँ एजेंसी, वाहन-संविदायंे तथा अन्य विशेष प्रकार की संविदाएँ, किंतु इनमें कृषि- भूमि संबंधी संविदाएँ शामिल नहीं हैं।
10. मध्यस्थता।
11. दिवालियापन और शोधन-क्षमता, महाप्रशासक और सरकारी न्यासी।
12. न्यायिक प्रशासन, जिसके अंतर्गत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय को छोड़कर, राज्य के भीतर सभी न्यायालयों का गठन, संघटन, क्षेत्राधिकार और शक्त्तियाँ तथा ऐसे सभी न्यायालयों में ली जाने वाली फीसों का निर्धारण शामिल है। इसके अतिरिक्त इस विषय अंतर्गत निम्न बातें भी शामिल हैः
सभी अधिनियम-न्याय प्रयोजनों के लिये उनका
(क) प्रशासन तथा विस्तार। निम्नतर न्यायालयों के दंडादेशों के विरूद्ध अपील।
(ख) अपील।
(ग) दीवानी (सिविल) तथा फौजदारी न्यायालयों से संबंधित भवन तथा उनकी स्थापना संबंधी मामले।
(घ) न्यायालय भाषा का निर्धारण।
(ड़) न्यायिक प्रपत्रों का प्रारूपण।
(च) महाधिवक्ता (एडवोकेट जेनरल) और सरकार के अन्य विधि पदाधिकारियों की नियुक्ति।
(छ) निर्वसीयत संपत्ति
(ज) न्याय-पदाधिकारियों का क्षेत्राधिकार।
(झ) विधि पुस्तकें, विधि रिपोर्ट, काल-क्रमिक सारणियाँ आदि।
(´) वैधिक कार्यों का संचालन।
(ट) पागल अपराधियों से संबंधित सभी मामले।
(ठ) कैदियों के दया प्रार्थना-पत्रों का विचारण तथा भारतीय दंड प्रक्रिया की संहिता 432 के अधीन उनके दंडादेशों का स्थापन अथवा छूट।
(ड) आजीवन कारावास का दंड प्राप्त कैदियों की विमुक्ति।
13. राज्य विधि-रिपोर्ट तथा सरकार और जनता को इन रिपोर्टों की आपूत्र्ति।
14. आवारागर्दी।
15. उच्च न्यायालय, जिला एवं सत्र जिला तथा सत्र न्यायाधीश के कार्यालयों न्यायालयों तथा अधीनस्थ न्यायालयों या उनके अधीनस्थ कार्यालयों में के लिये सभी प्रकार के राजपत्रित नियोजित सभी लिपिक और भृत्य वर्गों एवं अराजपिित्रत पदों के सृजन संबंधित प्रस्तावों की प्रोसेसिंग।
16. भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची(2) एवं(3) में सम्मिलित विषयों के संबंध में विधि निर्माण।
17. उच्च न्यायालय भवन और दीवानी (सिविल) और फौजदारी न्यायालयों, भवनों का प्रशासनिक प्रभार।
18. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से भिन्न न्याय-पदाधिकारियों के सभी निवासों का प्रशासनिक प्रभार।
19. सिविल और फौजदारी (आपराधिक) मामलों में सरकारी खर्च पर सहकारी सेवकों की
प्रतिरक्षा की मंजूरी
20. जन- सेवकों के विरूद्ध अभियोजन की स्वीकृति।
21.परकाम्य लिखित अधिनियम (निगोशियेबुल इंस्टूमेन्ट ऐक्ट), 1981 की धारा 138 के अधीन लेख्य प्रमाणक (नोटरी) की नियुक्ति।
22. प्रत्यर्पण से संबंधित संदर्भ।
23. धार्मिक एवं पुण्यार्थ न्यास (ववफ-रहित)।
24. गरीबों की वैधिक सहायता।
(ख) विधान शाखा
25. प्रशासी विभागों द्वारा निकाले जानेवाले परिनियत नियमों, अधिसूचनाओं, आदेशों आदि अथवा उप-विधयों (उप-नियमों) के प्रारूपण में प्रशासी विभागों को सलाह देना।
26. प्रशासी विभाग के आदेशानुसार सभी सरकारी विधेयकों, भारत-संविधान के अनुच्छेद 213 के अधीन प्रख्यापित अध्यादेशों तथा भारत-संविधान की पाँचवीं अनुसूची के भाग ”ख“ की कंडिका की उप-कंडिका (2) के अधीन बनाए गए विनियमों का प्रारूपण।
27. राज्य विधानमंडल में उप-स्थापन के पूर्व सभी सरकारी विधेयकों का मुद्रण और उनकी मुद्रित प्रतियों का वितरण।
28. विधेयकों पर प्रवर समितियों की रिपोर्ट तैयार करना, समितियों की सिफारिशों के अनुसार विधेयकों को संशोधित करना तथा उन रिपोर्टों और यथासंशोधित विधेयकों को छपाना।
29.सरकारी या गैर-सरकारी सभी विधेयकों के मामले में यह सलाह देना कि उन पर राज्यपाल या राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी या सिफारिश आवश्यक है या नहीं तथा यह भी कि राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ रखना अपेक्षित है या नहीं।
30. राज्य विधानमंडल में उपस्थापन या राज्य विधान-मंडल कार्य-नियमावली के अधीन प्रकाशित सभी विधेयकों की प्रतियाँ, सभी विधेयकों पर प्रवर-समितियों की रिपोटों की प्रतियाँ तथा आवश्यकतानुसार विधानमंडल की कार्यवाही के उद्धरणों के साथ राज्य विधानमंडल द्वारा पारित और राज्यपाल द्वारा अनुमत सभी विधयकों की प्रतियाँ विधि मंत्रालय(भारत सरकार) को भेजना।
31. राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों पर राज्यपाल की अनुमति प्राप्त करना तथा राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों और औपचारिक विधान का आरम्भन और प्रारूपण।
32. वर्तमान विधि के संहितायन और समेकन के लिए विधेयकों और औपचारिक विधान का आरम्भन और प्रारूपण ।
33. अधिनियमों, संहिताओं तथा परिनियत नियमों एवं आदेशों इत्यादि के संकलनों का पुनरीक्षणः-
(क) राज्यपाल द्वारा अनुमत सभी विधयकों, प्रख्यापित सभी अध्यादेशों तथा बनाये गये सभी विनियोगों का मुद्रण और ऐसे विधान के परिणाम दिखाने वाली वार्षिक सूचियों को तैयार करना।
(ख) सभी संशोधनों के साथ राज्य अधिनियमों के रूपभेदित संस्करण तैयार करना और उन्हें छपाना।
(ग) बिहार संहिता का पुनरीक्षण।
34. संबद्ध प्रशासी विभाग के अनुरोध पर एतद् संबंधी संसद के विधेयकों और अधिनियमों, प्रवर समितियों की रिपोर्टों तथा राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों को स्थानीय सरकारी गजट में पुनः प्रकाशन।
35. सभी सरकारी विधेयकों, यथा संशोधित विधेयकों सहित, प्रवर समितियों की रिपोर्ट और अधिनियमों के हिंदी अनुवाद की जाँच और छपाई तथा उनकी मुद्रित प्रतियों का वितरण।
36. विधि- आयोग का प्रशासनिक प्रभार।
37. संविधान संबंधी पश्न।
The works allotted by the rules of executive business to the Law department are distributed among the various section of the Law department which are as follows:-
विधि विभाग के अंतर्गत विभिन्न प्रशाखाओं के बीच कार्यो का वितरण संबंधी विवरणीः-
1. प्रशाखा-ए-एडमिनिस्टेªशन आफ जस्टिस
1. विशेष न्यायालय का गठन,
2. असमय कारा मुक्ति,
3. दण्ड के स्थान पर जुर्माना की स्वीकृति एवं अन्य कार्य,
4. न्यायालय भवनों एवं न्यायालयों का सृजन,
5. साक्ष्य एवं शपथ,
6. न्यायिक पदाधिकारियों का क्षेत्राधिकार,
7. अवारागर्दी/निर्वसीयत सम्पत्ति,
8. न्यायिक प्रपत्र, राज्य विधि रिपोर्ट तथा सरकार एवं जनता को उन रिपोर्टो की आपूर्ति,
9. अधिवक्ता कल्याण/अधिवक्ता लिपिक कल्याण,
10. विदेशी नागरिको का मामला,
11. नोटिस, सम्मन/दिवालीयापन और शोधन क्षमता,
12. मानवाधिकार से संबंधित कार्य,
13. अपराधी, पागल, राजनैतिक कैदियों को क्षमा, प्रार्थना-पत्र तथा उनके दण्डादेश की (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-432/433/433।/संविधान की धारा-161 के अधीन) छूट या स्थगन,
14. राज्य सभा तथा लोक सभा प्रश्नादि का कार्य,
15. विधि आयोग,
16. जनता एवं सरकार से प्राप्त विविध पत्र,
17. नोटरी (लेख्य प्रमाणक) की नियुक्ति एवं नवीकरण से संबंधित कार्य,
18. भारत सरकार के विधि आयोग से संबंधित कार्य,
19. मुख्यमंत्री विकास/प्रवास यात्रा से संबंधित कार्य/लोकायुक्त कार्यालय एवं भारत सरकार से प्राप्त पत्रों से संबंधित कार्य/राज्यपाल सचिवालय/मुख्यमंत्री का जनता दरबार/मुख्य सचिव एवं मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग से प्राप्त जन शिकायत तथा जन शिकायत कोषांग से संबंधित कार्य,
20. विधान मंडल से संबंधित कार्य,
21. न्याय प्रशासन से संबंधित शेष सभी मामलों,
22. प्रत्यर्पण से संबंधित संदर्भ,
23. संविदाएॅ, एजेंसी वाहन संविदायें तथा अन्य विशेष प्रकार की संविदायें, किन्तु इनमें कृषि-भूमि संबंधी संविदाए शामिल नही है।
2. प्रशाखा-बी.-मुख्यालय स्थापना प्रभाग
1. विभागीय मुख्यालय स्थापना से संबंधित सभी कार्य (अग्रिम स्वीकृति सहित),
2. विभागीय मंत्री/राज्यमंत्री स्थापना से संबंधित सभी कार्य,
3. महाधिवक्ता कार्यालय के स्थापना से संबंधित सभी कार्य,
4. ए0जी0ओ0टी0 स्थापना से संबंधित सभी कार्य,
5. विधि बोधक कार्यालय से संबंधित सभी कार्य,
6. डाक एवं वितरण पटल से संबंधित कार्य,
7. विधि परामर्शी पुस्तकालय संबंधी कार्य,
8. विभागीय लेखन सामग्री का क्रय एवं वितरण,
9. विभागीय मशीन, गाड़ी खरीद, रख-रखाव एवं मरम्मति से संबंधित सभी कार्य,
10. नोडल पदाधिकारी की नियुक्ति,
11. लाॅ रिर्पोटर से संबंधित कार्य,
12. न्यायिक पदाधिकारियों से संबंधित विविध पत्रादि का निष्पादन,
13. विवेकानुदान से संबंधित कार्य,
14. विभिन्न वादों का मोनेटरिंग से संबंधित कार्य
15. रिट एवं अवमाननावाद कोषांग से संबंधित कार्य
16. सूचना का अधिकार अधिनियम से संबंधित नीतिगत मामले
3. प्रशाखा-सी.-1-अधिवक्ताओं की नियुक्ति, स्थापना से संबंधित कार्य एवं शुल्क विपत्र:-
1. जिलों में लोक अभियोजक/विशेष लोक अभियोजक/सरकारी वकील/अपर लोक अभियोजक/सहायक सरकारी वकील की नियुक्ति,
2. महाधिवक्ता एवं उच्च न्यायालय के अन्य विधि पदाधिकारियों तथा उनके सहायक अधिवक्ताओं/पैनल के अधिवक्ताओं की नियुक्ति तथा अपर लोक अभियोजक की नियुक्ति,
3. शुल्क निर्धारण संबंधी सभी कार्य,
4. राजस्व पैनल एवं निगरानी पैनल के अधिवक्ताओं की नियुक्ति एवं उनका शुल्क विपत्र,
5. विवाचन वाद/बिहार प्रशासनिक न्यायाधिकरण एवं केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में अधिवक्ताओं की नियुक्ति एवं उनका शुल्क का निर्धारण एवं शुल्क विपत्र,
6. राज्य उपभोक्ता आयोग से संबंधित कार्य,
7. उच्चतम न्यायालय/दिल्ली उच्च न्यायालय के लिए स्थायी सलाहकार/अधिवक्ता की नियुक्ति, शुल्क निर्धारण एवं शुल्क विपत्र संबंधी कार्य,
8. जांच आयोगो के लिए अधिवक्ताओं की नियुक्ति, शुल्क निर्धारण एवं शुल्क विपत्र संबंधी कार्य,
9. राज्य के बाहर के प्रदेशों में स्थित उच्च न्यायालयों में बिहार सरकार से संबंधित वादों के लिए अधिवक्ताओं की नियुक्ति एवं शुल्क निर्धारण,
10. केस रेकर्ड की जाॅच एवं मान्यता संबंधी कार्य।
4. प्रशाखा-सी.-2
1. सभी विभागों से संबंधी जयघोष राशि की स्वीकृति संबंधी कार्य,
2. उच्च न्यायालय के विधि पदाधिकारियों, यथाः-महाधिवक्ता/अपर महाधिवक्ता/राजकीय अधिवक्ता/स्थायी सलाहकार/सरकारी वकील/अपर लोक अभियोजक तथा सहायक अधिवक्ताओं का शुल्क विपत्र पारित किये जाने संबंधी कार्य,
3. सरकारी खर्च पर सिविल एवं फौजदारी (आपराधिक) मामलों में सरकारी सेवकों की प्रतिरक्षा की मंजूरी,
4. बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार से संबंधित कार्य,
5. धार्मिक न्यास से संबंधित कार्य ।
6. मध्यस्थता,
5. प्रशाखा-ई0-लेखा शाखा
1. लेखा शीर्ष-2052, 2014 एवं 2013 का लेखा संबंधी कार्य,
2. विधि परामर्शी का मासिक विपत्र एवं अन्य विपत्र संबंधी कार्य,
3. राजपत्रित एवं अराजपत्रित कर्मियों का मासिक विपत्र एवं अन्य विपत्रों से संबंधित कार्य,
4. भविष्य निधि लेखा संधारण का कार्य,
5. सरकारी वाहन का परिचालन एवं रख-रखाव विपत्र एवं अग्रिम की निकासी,
6. महालेेखाकार, बिहार से मुख्यालय का लेखा का सत्यापन,
7. विवेकानुदान की निकासी एवं वितरण ।
6. प्रशाखा-एफ0-(विधान शाखा)
1. कार्यपालिका नियमावली में आवंटित विधि विधान से संबंधित सभी कार्य।
2. सी0आर0पी0सी0 में संशोधन एवं अन्य अधिनियमों में संशोधन,
3. विधि, लोक अधिनियमों, अभिलेखों तथा न्यायिक कार्रवाईयों की मान्यता,
4. बाल विवाह, विवाह और तलाक, बच्चे और नाबालिग, दंत्तक ग्रहण इत्यादि से संबंधित विधि के मामले,
5. वसीयत, निर्वसीयता और उत्तराधिकार, सम्पति का अंतरण,
6. सिविल प्रक्रिया जिसमें परिसीमा अधिनियम (लाॅ आॅफ लिमिटेशन) भी शामिल है,
7. प्रशाखा-जी0-बजट प्रभाग एवं क्षेत्रीय स्थापना
1. विभागीय बजट (गैर योजना/योजना) से संबंधित सभी कार्य,
2. वित्त आयोग,
3. विभिन्न जिलों से व्यय विवरणी को प्राप्त करना एवं उनकी जांच तथा महालेखाकार से सत्यापन,
4. न्यायालयों से प्राप्त शुल्क तथा राजस्व एवं प्राप्तियाॅ,
5. लोक लेखा समिति से संबंधित सभी कार्य,
6. अधिकाई व्यय/ए0सी0/डी0सी0 विपत्र से संबंधित कार्य एवं विविध पत्रादि।
7. पटना उच्च न्यायालय के स्थापना से संबंधित सभी कार्य,
8. व्यवहार न्यायालयों के स्थाना से संबंधित सभी कार्य (अग्रिमों की स्वीकृति सहित)
9. लेखाओं के अंकेक्षण से संबंधित सभी कार्य।
8. प्रशाखा-एच0-परामर्शी शाखा
1. सभी विभागों से प्राप्त संचिकाओं में मंतव्य देना।